नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत अर्जी नामंजूर किए जाने के बाद अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास इस्तीफे के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा। सुप्रीम कोर्ट ने साफतौर पर कहा है कि पैसे के लेनदेन की कड़ियां साफ हैं। इन हालात में केजरीवाल को मुख्यमंत्री बने रहने का तब तक कोई अधिकार नहीं है जब तक इस मामले का फैसला नहीं हो जाता। बिधूड़ी ने कहा कि हम विधानसभा के अंदर और बाहर लगातार यह कहते रहे हैं कि शराब नीति को लागू करने में सैंकड़ों करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है। इसीलिए सीबीआई और ईडी ने भी मामले दर्ज किए और गिरफ्तारियां कीं। दूसरी तरफ केजरीवाल कहते आ रहे हैं कि कोई घोटाला हुआ ही नहीं है और सारे फर्जी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अब पैसे के लेनदेन की बात स्पष्ट रूप से स्वीकार किए जाने के बाद केजरीवाल का झूठ कहीं नहीं टिक रहा। मनीष सिसोदिया निचली अदालत से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल कर चुके हैं लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए कोई भी कोर्ट उनकी जमानत लेने के लिए तैयार नहीं है। बिधूड़ी ने कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार में केजरीवाल सर्वेसर्वा हैं और उनकी मर्जी के बिना सरकार में पत्ता भी नहीं हिल सकता। सभी जानते हैं कि केजरीवाल के काम करने का तरीका भी ऐसा है कि वह सरकार या पार्टी में अपने अलावा किसी और को कुछ नहीं समझते। ऐसी सूरत में यह संभव ही नहीं है कि केजरीवाल की मर्जी के बिना शराब घोटाले में सैंकड़ों करोड़ रुपए इधर से उधर हुए हों। अब इस मामले में केजरीवाल की संलिप्तता भी स्पष्ट होती जा रही है। ऐसी हालत में केजरीवाल को अपने पद पर बने रहने का कोई भी वैधानिक या नैतिक अधिकार नहीं है। आज नहीं तो कल, केजरीवाल को भी इस मामले में नतीजे भुगतने ही हैं। इस सूरत में उन्हें तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।